1925 के दौरान हेनरी आनà¥à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¤ फà¥à¤°à¤¾à¤‚स के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ संसाधनों के बारे में इतने उतà¥à¤¸à¥à¤• थे कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¤‚ à¤à¤• "पनीर कैलेंडर” बनाया।
इसमें सौ से à¤à¥€ अधिक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पनीर थे, जो कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ या समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के नाम और उनके परिपकà¥à¤µ अवधि के साथ मौज़ूद थे।
ये अपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ पनà¥à¤¨à¥‡ गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤•à¥‹à¤‚ की इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं और जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤“ं का इतना धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखते और लà¥à¤à¤¾à¤¤à¥‡ थे कि हेनरी आनà¥à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¤ ने अपने परिपकà¥à¤µà¤¨ तहखाने साथ ही आसà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¨ ककà¥à¤· बनाया।
पेरिस के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¶à¤‚सक तà¥à¤°à¤‚त पनीर पर आधारित पारंपरिक वà¥à¤¯à¤‚जनों को पाने के लिठवहाठजमा होने लग गये।
अपने बेटे पियेर के साथ, उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¤‚ 30 के दशक के मधà¥à¤¯ से पनीर डेयरी के उपर वह पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚ खोला जिसने इस परिवार को उसकी पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ का आशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ दिया।
उनका मदिरा संगà¥à¤°à¤¹, मेनà¥à¤¯à¥‚ का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° और गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ के साथ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखने वाली सेवा ने जलà¥à¤¦à¥€ ही इस जगह को पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ बना दिया।
आनà¥à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¤ की मौलिकता और विशेषजà¥à¤žà¤¤à¤¾ से पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤•à¥‹à¤‚ को नठदृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ से आम आदमी के साथ बैठकर पनीर का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ लेने और उसकी पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा करने में आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ होने में देर नहीं लगी।
उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤•à¤¾à¤° कोलेत से लेकर à¤à¤¸à¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤¸ के रचयिताओं तक, जà¥à¤¯à¤ गाबें से ऑरसन वेलà¥à¤¸ तक, यहांतक कि तोशिरो मिफà¥à¤¨ और अरनेसà¥à¤Ÿ हेमिंगवे à¤à¥€ - समाचार की सà¥à¤°à¥à¤–़ियों से कलाजगत तक के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ नामों का शà¥à¤®à¤¾à¤° यहाठआने वालों में था।
इनमें मारिया कालास à¤à¥€ थीं जो पनीर की बहà¥à¤¤ बड़ी शौकीन थीं और जब à¤à¥€ यहाठआतीं तो किचन में जाकर अपनी पसंद के पनीर के साथ सà¥à¤•à¥à¤°à¥ˆà¤®à¥à¤¬à¤²à¤¡ अंडे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ बनाती थीं।
----- रयू à¤à¤®à¥à¤¸à¥à¤Ÿà¤°à¥à¤¡à¤® पर पनीर आसà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¨à¥¤ -----